1. शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पकालीन कृषि ऋण
वर्ष 2012-13 से प्राथमिक कृषि साख समितियों के माध्यम से कृषकों को अल्पकालीन फसल ऋण (राशि रू.3.00 लाख तक) 0 (शून्य) प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इस हेतु वर्ष 2020-21 में 10 प्रतिशत बेसरेट के अधीन राज्य शासन द्वारा सभी कृषको को 5 प्रतिशत् ब्याज सहायता एवं शेष 5 प्रतिशत् (2+3) ब्याज सहायत केन्द्र शासन द्वारा उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है।
वर्ष 2019-20 से कृषकों को शून्य प्रतिशत् ब्याज दर पर उपलब्ध कराये गये कृषकों की संख्या एवं अनुदान राशि का वर्षवार विवरण निम्नानुसार है :-
(संख्या लाखों में राशि करोड़ों में)
वर्ष | लाभांवित किसानों की संख्या (खरीफ + रबी) |
किसानों को प्रदत्त अनुदान की राशि | राज्य शासन द्वारा निर्गमित राशि |
---|---|---|---|
2019-20 | 26.27 | 381.00 | 63.06 |
2020-21 | 30.42 | 413.00 | 236.19 |
2. आत्मनिर्भर भारत एवं आत्मनिर्भर म.प्र.- योजना
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘आत्मनिर्भरभारत‘‘ के अन्तर्गत ‘‘कृषि अंधोसंरचना निधि‘‘ (ए.आई.एफ) के माध्यम से लंबी अवधि हेतु ऋण सुविधा उपलब्ध करवाकर सहकारी क्षेत्र में संस्थाओं के उन्नयन करने तथा कृषि अद्योसंरचना निर्माण हेतु कार्य योजना तैयार कर कार्यवाही की जा रही है। आत्मनिर्भर भारत योजना अन्तर्गत कृषि अधोसंरचना कोष से पैक्स, विपणन एवं बहुउद्देशीय सहकारी समितियों को 1 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण सुविधा शासकीय प्रति भूति पर उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान किया गया है। योजनान्तर्गत म.प्र. में पैक्स द्वारा 300 डी.पी.आर राशि रू. 79.70 करोड़ की तैयार की जाकर जिला बैंकों द्वारा 239 प्रोजेक्ट रू. 57.28 करोड़ के स्वीकृत किये गये है, एवं नाबार्ड से 52.72 करोड़ रू. पुर्न वित्त हेतु स्वीकृत किये गये है। योजनार्न्तगत पोस्ट हार्वेस्ट प्रोजेक्ट- यथा वेयरहाउस निर्माण, प्रोसेसिंग यूनिट, ई-मण्डी आदि स्वीकृत किये है।
‘‘आत्मनिर्भर म.प्र.‘‘ योजना के अन्तर्गत पैक्स संस्थाओं में कृषकों के लिए ऋण, विपणन एवं अन्य सेवायें प्रदान करने हेतु, ‘‘सामान्य सुविधा केन्द्र (सीएससी)‘‘ की स्थापना हेतु 03 वर्षीय कार्य योजना तैयार की गई है। योजनान्तर्गत पैक्स में 4000 ‘‘सामान्य सुविधा केन्द्र‘‘ खोले जायेगें। इनमें से 2137 केन्द्रों में कार्य प्रारंभ हो चुका है।
3. मुख्यमंत्री कृषक सहकारी ऋण सहायता योजना
राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णयानुसार मुख्यमंत्री कृषक सहकारी ऋण सहायता योजना में प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों द्वारा रबी 2015-16 से अल्पावधि फसल ऋण में वस्तु ऋण की राशि पर 10 प्रतिशतद्य अधिकतम रू.10000/- प्रति कृषक प्रतिवर्ष अनुदान देय है।
योजना अंतर्गत उन्हीं कृषकों को लाभ मिलेगा जिनक द्वारा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से लिये गये अल्पावधि ऋण में से नगद ऋण शत्- प्रतिशत् एवं वस्तु ऋण की 90 प्रतिशत् राशि की अदायगी ड्यू डेअ तक जमा की गई।
अनुदान वस्तु ऋण के 10 प्रतिशत् के आधार पर आंकलित कर खरीफ मौसम में वितरित (01 अप्रैल से 30 सितम्बर) ऋण का तृतीय त्रैमास एवं रबी (01 अक्टूबर से 31 मार्च) में वितरित ऋणों का आगामी वर्ष के प्रथम त्रैमास में अग्रिम प्रदान किया जावेगा।
रबी वर्ष 2015-16 योजनांतर्गत 6.12 लाख कृषकों को राशि रू. 88.48 करोड़ का लाभ उपलब्ध कराया गया है।
4. एकीकृत सहकारी विकास परियोजना -
- प्रदेश में एन.सी.डी.सी.नई दिल्ली एवं राज्य शासन की वित्तीय सहायता से वर्ष 1994 से एकीकृत सहकारी विकास परियोजनाएं संचालित है। परियोजनाओं अंतर्गत संबंधित जिले की विभिन्नर सहकारी संस्थाओं को अद्योसंरचना विकास बैंकिंग काउंटर, लाकर, फर्नीचर फिक्चर, नावजाल, केन, साईकिल इत्यादि आवश्यक सामग्री हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाती है।
- योजनान्तर्गत एन.सी.डी.सी.नई दिल्ली से राज्य शासन को 80 प्रतिशत ऋण एवं 20 प्रतिशत अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता दी जाती है तथा राज्य शासन द्वारा परियोजनाओं को 50 प्रतिशत ऋण 30 प्रतिशत अंशपूंजी एवं 20 प्रतिशत अनुदान के रूप में राशि उपलब्ध करायी जाती है। प्रदेश में दिसम्बर 2019 तक 42 जिलों में परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी है एवं 6 परियोजना क्रमशः छतरपुर, सतना, मण्डला, सतना, मुरैना एवं श्योपुर संचालित है। शेष 3 जिले क्रमशः डिण्डोरी, दतिया एवं दमोह की डी.पी.आर.तैयार की जाकर स्वीकृति हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
- पूर्ण परियेाजनाओं के माध्यम से लगभग विभिन्न क्षमताओं के नवीन गोदाम निर्माण से 2.50 लाख मे.टन एवं जीर्णशीर्ण गोदामों की मरम्मत से लगभग 0.55 लाख एम.टी.भण्डारण क्षमता विकसित हुई है। इस प्रकार प्रदेश में परियेाजनाओं के माध्यम से लगभग 3.05 लाख मे.टन भण्डारण क्षमता विकसित हुई है।
- राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, नई दिल्ली तथा राज्य शासन के सहयोग से पूर्ण हो चुकी 36 एकीकृत सहकारी विकास परियोजनाओं का विवरण निम्नानुसार है:-
(राशि लाखों में)
क्रमांक |
परियोजना |
शामिल जिले |
लागत |
01 |
नरसिंहपुर |
नरसिंहपुर |
748.30 |
02 |
रायसेन |
रायसेन |
734.95 |
03 |
छिन्दवाड़ा |
छिन्दवाड़ा |
1112.56 |
04 |
गुना |
गुना/अशोक नगर |
794.87 |
05 |
रतलाम |
रतलाम |
1225.95 |
06 |
जबलपुर |
जबलपुर/कटनी |
1338.33 |
07 |
भिण्ड |
भिण्ड |
1290.00 |
08 |
राजगढ़ |
राजगढ़ |
1279.00 |
09 |
खरगौन |
खरगौन/बड़वानी |
861.27 |
10 |
सीधी |
सीधी/सिंगरोली |
509.98 |
11 |
सागर |
सागर |
1600.00 |
12 |
सीहोर |
सीहोर |
1727.40 |
13 |
उज्जैन |
उज्जैन |
1675.20 |
14 |
विदिशा |
विदिशा |
1246.16 |
15 |
झाबुआ |
झाबुआ/अलीराजपुर |
1235.50 |
16 |
मंदसौर |
मंदसौर |
1869.68 |
17 |
नीमच |
नीमच |
918.05 |
18 |
इंदौर |
इंदौर |
1906.78 |
19 |
बैतूल |
बैतूल |
1660.25 |
20 |
टीकमगढ़ |
टीकमगढ़ |
1130.74 |
21 |
खंडवा |
खंडवा |
1311.21 |
22 |
बुरहानपुर |
बुरहानपुर |
747.20 |
23 |
शहडोल |
शहडोल |
682.92 |
24 |
उमरिया |
उमरिया |
682.92 |
25 |
अनुपपुर |
अनुपपुर |
305.67 |
26 |
शाजापुर |
शाजापुर/आगर |
2857.10 |
27 |
रीवा |
रीवा |
1213.56 |
28 |
बालाघाट |
बालाघाट |
2119.05 |
29 |
होशंगाबाद |
होशंगाबाद |
2857.59 |
30 |
हरदा |
हरदा |
1502.98 |
31 |
सिवनी |
सिवनी |
2362.24 |
32 |
भोपाल |
भोपाल |
1445.65 |
33 |
देवास |
देवास |
3419.95 |
34 |
शिवपुरी |
शिवपुरी |
2862.02 |
35 |
धार |
धार |
3996.50 |
36 |
ग्वालियर |
ग्वालियर |
1749.29 |
वर्तमान में संचालित परियोजनाए
(राशि लाखों में)
क्रमांक |
परियोजना |
शामिल जिले |
कार्यकाल |
लागत |
01 |
छतरपुर |
छतरपुर |
वर्ष 2013-14 से 31.12.2018 तक |
2500.60 |
02 |
मण्डला |
मण्डला |
01.07.2016 से 30.06.2021 तक |
3333.40 |
03 |
मुरैना |
मुरैना |
01.07.2016 से 30.06.2021 तक |
3686.92 |
04 |
श्योपुर |
श्योपुर |
01.07.2016 से 30.06.2021 तक |
3077.73 |
05 |
पन्ना |
पन्ना |
01.07.2016 से 30.06.2021 तक |
3135.46 |
06 |
सतना |
सतना |
01.07.2016 से 30.06.2021 तक |
2967.58 |
- 03 जिलों क्रमश: दतिया दमोह एवं डिण्डोरी में परियोजनाएं प्रारंभ किये जाने हेतु विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डी.पी.आर.) तैयार की जाकर शासन को प्रेषित की गई है।
5. सहकारी भण्डारण योजना 2012 (आर.के.व्ही.वाय.)
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 1000 मेट्रिक टन क्षमता के 200 गोदामों के निर्माण का लक्ष्य।
- योजनान्तर्गत भण्डारण क्षमता में वृद्धि प्रस्तावित 2 लाख मेट्रिक टन।
- योजनान्तर्गत सहकारी विभाग द्वारा शासकीय भूमि पर गोदाम निर्माण।
- वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक राशि रू. 56.00 करोड़ आहरित।
- 90 स्थानों पर गोदाम निर्माण कार्य निर्माणाधीन, जिसके विरूद्ध 80 स्थानों पर गोदाम निर्माण कार्य पूर्ण।
- वर्ष 2015-16 हेतु 40 गोदाम निर्माण हेतु निविदा कार्य पूर्ण।
- वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 के शेष रहे 70 गोदामों हेतु भूमि चयन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन।
6. भण्डारगृह निर्माण योजना 2012
सुदूर ग्रामीण अंचलों में कृषकों की सुविधा के उद्देश्य से भण्डारण क्षमता में वृद्धि के मद्देनजर राज्य शासन ने प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों में गोदाम निर्माण कराने का निर्णय लिया है। इस योजनान्तर्गत
- राज्य शासन द्वारा संस्थाओं को निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराना। लगभग 1500 पैक्स/लेम्पस हेतु संबंधित जिला कलेक्टर द्वारा निःशुल्क भूमि आवंटित।
- आगामी 5 वर्षों में 500 मेट्रिक टन क्षमता के 300 गोदाम निर्माण से 1.50 लाख मेट्रिक टन भण्डारण क्षमता विकसित करने का लक्ष्य।
- राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम नई दिल्ली द्वारा गोदाम निर्माण लागत का 50 प्रतिशत ऋण तथा 20 प्रतिशत अनुदान एवं राज्य शासन द्वारा 30 प्रतिशत अनुदान।
- वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 में प्रदेश की 120 समितियों हेतु राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की स्वीकृति प्राप्त।
- निर्माण कार्य के लिये शासकीय बजट में वित्तीय वर्ष 2015-16 में राशि रू. 12.00 करोड़ का प्रावधान।
- निर्माणाधीन 120 गोदामों में से 66 गोदाम निर्माण कार्य पूर्ण। शेष प्रक्रियाधीन।
- तृतीय चरण हेतु भी 60 समितियों का चयन पूर्ण किया जाकर एन.सी.डी.सी.नई दिल्ली को राज्य शासन के माध्यम से प्रेषित किये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन।
7. विपणन सहकारी संस्थाओं का सुदृढीकरण
मध्यप्रदेश में 245 प्राथमिक विपणन सहकारी संस्थाऐं पंजीकृत हैं। इन संस्थाओं के सुदृढीकरण हेतु म.प्र. शासन द्वारा 3 वर्षीय योजना स्वीकृत की गई है जिसके अनुसार 3 वर्षों में 164 विपणन सहकारी संस्थाओं को अंशपूंजी व ऋण के रूप में रू. 12 लाख प्रति संस्था की दर पर कुल राशि रू.19.68 करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदाय किया जाना है |
वर्ष 2014 - 15 में 25 संस्थाओं को राशि रू. 3.00 करोड़ की आर्थिक सहायता दी जायेगी |
8. विभागीय ई-गवर्नेंस परियोजनाए
विभाग द्वारा ई-गवर्नेंस क्षेत्र में विभागीय वेबसाइट: http://cooperatives.mp.gov.in एवं विभागीय वेब पोर्टल “म.प्र. राज्य सहकारी पोर्टल (ई-कोआपरेटिव्स)”: http://www.mp.nic.in/ecooperatives का संचालन किया जा रहा है| जिसमे विभाग की विभिन्न सेवाओं को ऑनलाइन कर जन सामान्य तक पहुचाये जाने का प्रयास किया जा रहा है|
ई-गवर्नेंस क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए विभाग द्वारा मैप आई.टी. की सहायता से सहकारी संस्थाओं के ऑनलाईन पंजीयन हेतु एक वेब पोर्टल ICMIS (एकीकृत सहकारी प्रबंधन सूचना प्रणाली) डेवलप किया गया है, जिसमें सहकारी संस्थाओं के पंजीयन हेतु ऑनलाईन आवेदन से लेकर पंजीयन प्रमाण-पत्र तक की संपूर्ण प्रक्रिया एण्ड टू एण्ड ऑनलाईन है। साथ ही, मैप आई.टी. की सहायता से RCMS की तर्ज पर सहकारी न्यायालयीन प्रणाली की मॉनिटंरिंग हेतु Cooperative Judicial Court Case Management System भी डेवलप किया गया है, जिसमे सहकारी न्यायालयों में प्रचलित प्रकरणों की ऑनलाइन मोनिटरिंग की व्यवस्था है| साथ ही, प्रदेश स्तर पर लागू किये गए ऑनलाइन एप्लीकेशन-सूचना के अधिकार अंतर्गत आर.टी.आई. ट्रेकिंग एण्ड मॉनिटरिंग सिस्टम को विभाग में लागू किया गया है| ई-कोआपरेटिव्स पोर्टल से प्रदेश स्तर की समस्त सहकारी संस्थाओं का सिस्टम आधारित अंकेक्षण आवंटन तथा सहकारी संस्थाओं के वैधानिक अंकेक्षण हेतु प्रतिवर्ष सनदी लेखपालो का ऑन-लाईन पैनल तैयार किया जाता है|
विभाग द्वारा एन.आई.सी.के माध्यम से ऑनलाइन नस्तीयों के प्रेषण हेतु “ई-ऑफिस” सॉफ्टवेयर का क्रियान्वयन मुख्यालय स्तर पर किया जा रहा है|
विभाग द्वारा विभिन्न जी.टू.सी. एवं जी.टू.जी. सेवाओं अंतर्गत विभाग के विभिन्न कार्यों में पारदर्शिता, दक्षता एवं प्रभावशीलता लाने का प्रयास किया गया है। इस पोर्टल के क्रियान्वयन से विभाग के अनेक कार्यों का निष्पादन अपेक्षाकृत गति से हो रहा है।